Hidimba Devi Temple | अनसुनी कहानियों की झलक – हिडिम्बा मंदिर की अनकही बातें!
राम – राम दोस्तों ! आज से हम यहाँ आपको मनाली के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सीरीज़ शुरू कर रहें है जिसमे आपको मनाली के आस पास के सभी पर्यटन स्थलों की विस्तार में बेस्ट टाइम टू विजिट, और अन्य उपयोगी टिप्स के बारे में बताएंगे। आज का टॉपिक हिडिम्बा देवी मंदिर जहां पर हम यहाँ के इतिहास, वास्तुकला, बनावट, प्राकृतिक सुंदरता ओर भी बहुत कुछ बताएगें तो चलिए शुरू करते हैं।
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Story of Hidimba Devi | हिडिम्बा देवी की कहानी
Hidimba Devi ( हिडिम्बा देवी ) एक राक्षसी थी, जो अपने भाई हिडिंब के साथ महादैत्य वन में रहती थी। उन्होंने वचन लिया था कि जो भी उनके भाई को युद्ध में हरा देगा, वह उसे अपने वर के रूप में स्वीकार करेंगी।
एक बार, जब पांडव निर्वासन के समय वहां पहुंचे, तो हिडिंब ने अपनी बहन को भोजन की तलाश में भेजा। हिडिंबा ने पांडवों को देखा और उनमें से दूसरे भाई भीम को देखते ही प्यार में पड़ गई। उसने उन्हें खाने की इच्छा नहीं की, बल्कि उन्हें बचाने का विचार किया।
वह भीम के पास गई और उसे अपने भाई के बारे में बताया। उसने उसे अपना प्रेम प्रकट किया और उससे शादी करने का आग्रह किया। भीम ने उसकी बात मान ली, लेकिन उसने उससे यह शर्त रखी कि वह पहले उसके भाई को मार दे।
हिडिंबा ने इस बात से सहमत होकर अपने भाई को बुलाया। हिडिंब ने देखा कि उसकी बहन एक मनुष्य के साथ बात कर रही है। उसने उसे डांटा और उसे खाने के लिए लाने को कहा। हिडिंबा ने उससे इन्कार कर दिया और उसे भीम के प्रति अपना प्यार बताया।
हिडिंब को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने भीम को चुनौती दी और उससे युद्ध करने को कहा। भीम ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली और उसके साथ लड़ने लगा। दोनों में एक भयानक युद्ध हुआ, जिसमें भीम ने अंत में हिडिंब को मार डाला।
इसके बाद, भीम और हिडिंबा की शादी हो गई। उन्हें एक पुत्र हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच एक महान योद्धा बना और कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों की मदद की।
भीम और हिडिंबा की शादी के बाद, वे वहां रहने लगे। हिडिंबा ने अपनी राक्षसी पहचान को त्याग दिया और एक साध्वी बन गई। वह भगवान की भक्ति में लीन हो गई। उसने एक चट्टान पर बैठकर तपस्या करनी शुरू कर दी।
कई वर्षों बाद, जब पांडव वापस आए, तो उन्होंने देखा कि हिडिंबा ने अपनी तपस्या से देवी का पद प्राप्त कर लिया है। उन्होंने उसका सम्मान किया और उसे अपनी रक्षा करने के लिए प्रार्थना की।
इसी चट्टान के ऊपर, 1553 में महाराजा बहादुर सिंह ने हिडिंबा देवी का मंदिर बनवाया। यह मंदिर एक चार मंजिला पैगोडा शैली का है, जो देवदार के जंगल में स्थित है। यह मंदिर मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
यह थी हिडिंबा देवी की कहानी, जो उनके जीवन, शादी, तपस्या और मंदिर के बारे में बताती है।
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History of Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर का इतिहास
हिडिम्बा देवी मंदिर मनाली का एक प्रमुख आकर्षण है, जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। हिडिम्बा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश, कुलू जिले के मनाली शहर में स्थित है।
यह मंदिर पांडव भीम की पत्नी हिडिम्बा देवी को समर्पित है, जो एक राक्षसी थी। यह मंदिर ढुंगरी शहर में देवदार के जंगल के बीच में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1553 में महाराजा बहादुर सिंह ने करवाया था।
हिडिम्बा देवी मंदिर को देखने के लिए आप मनाली शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर जा सकते हैं। आप यहां ऑटो रिक्शा, टैक्सी या पैदल भी पहुंच सकते हैं। मंदिर का दर्शन करने का समय सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक है। यहां पर भगवती हिडिम्बा की पूजा और अर्चना हर वर्ष विशेष उत्सव के साथ मनाई जाती है।
हिडिम्बा देवी मंदिर का स्थान सुंदर प्राकृतिक वातावरण में स्थित है और यहां का माहौल शांतिपूर्ण होता है। मंदिर के आस-पास घने वन, हरियाली और हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है।
इस मंदिर को स्थानीय लोग बड़े श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजते हैं। निरंतर आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं और इस प्राचीन स्थल की महिमा को महसूस करते हैं।
हिडिम्बा देवी मंदिर न केवल धार्मिक महत्ता का प्रतीक है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां का सुंदर वातावरण, प्राचीन धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करता है और हिमाचल प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देता है।
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Architecture and design of Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर की वास्तुकला व बनावट
हिडिम्बा देवी मंदिर की वास्तुकला उत्कृष्ट है और इसकी बनावट विशेष रूप से प्राचीन और स्थानीय शैली को प्रतिबिम्बित करती है। मंदिर का मुख्य भवन धार्मिक संरचना में अद्वितीयता को दर्शाता है।
मंदिर की संरचना तथा भव्यता में स्थानीय स्थापत्यकला का प्रभाव दिखाई देता है। मंदिर का मुख्य गोपुर स्थानीय विभागीय धातु और स्थानीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके अलावा, मंदिर के अंदर की संरचना में भी स्थानीय विशेषता का प्रभाव महसूस होता है।
इस प्रकार, हिडिम्बा देवी मंदिर की बनावट पैगोडा शैली की है, जो लकड़ी से बनी है। मंदिर की दीवारों पर जानवरों और देवताओं की नक्काशी की गई है। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के साथ-साथ भौतिक सौंदर्य को भी प्रकट करता है।
Time and special occasion to visit Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर का दर्शन करने का समय व विशेष अवसर
- यह मंदिर पूरे हफ्ते खुला रहता है और किसी भी दिन बंद नहीं होता है। हिडिम्बा देवी मंदिर में पूजा का समय सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक है।
- यह मंदिर विशेष त्यौहारों और दिवसों पर भी खुलता है, जैसे कि नवरात्रि, दशहरा, दीपावली, बसंत पंचमी, शिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, विजयादशमी, और अन्य।
- इन त्यौहारों और दिवसों पर मंदिर में विशेष पूजा, आरती, भजन, कीर्तन, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। मंदिर के आसपास भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले, और झांकियां आयोजित की जाती हैं।
- हिडिम्बा देवी मंदिर का सबसे विशेष अवसर है दशहरा का मेला, जो हर साल अक्टूबर-नवंबर में मनाया जाता है। इस मेले में मंदिर की देवी की पालकी को शहर के चारों ओर ले जाया जाता है और लोग उनका अभिवादन करते हैं। इस मेले में लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई बांटते हैं, और खुशी मनाते हैं।
- हिडिम्बा देवी मंदिर का दर्शन करने के लिए आप कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट, जोगिंदरनगर रेलवे स्टेशन, या मनाली बस स्टैंड से आसानी से पहुंच सकते हैं। आप वहां टैक्सी, ऑटो, या रिक्शा से भी जा सकते हैं।
हिडिम्बा देवी मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान का Video देखने के लिए यहां Click करें |
Many Features of Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर की कई विशेषताएं
- हिडिम्बा देवी मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों की पूजा की जाती है। ये पदचिह्न एक चट्टान पर उकीरे हुए हैं, जहां हिडिम्बा ने तपस्या की थी।
- हिडिम्बा देवी मंदिर की बनावट पैगोडा शैली की है, जो लकड़ी से बनी है। मंदिर की दीवारों पर जानवरों और देवताओं की नक्काशी की गई है। मंदिर की छत पर चारों ओर चौड़ी छज्जे हैं, जो बर्फ से बचाते हैं।
- हिडिम्बा देवी मंदिर के आसपास का माहौल शांत और प्रकृति से भरा हुआ है। यहां आप देवदार के जंगल का नजारा देख सकते हैं, या बस वातावरण का लुफ्त उठा सकते हैं। मंदिर के पास ही एक छोटा सा मेला लगता है, जहां आप खाना-पीना, शॉपिंग और मनोरंजन का मजा ले सकते हैं।
- हिडिम्बा देवी मंदिर में हर साल बैशाख माह के दूसरे दिन एक बड़ा महोत्सव मनाया जाता है, जिसे हिडिम्बा देवी का मेला कहते हैं। इस मेले में स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों हिस्सा लेते हैं। इस मेले में लोग देवी की पूजा करते हैं, नृत्य करते हैं, गाने गाते हैं और खुशी मनाते हैं।
इन सभी विशेषताओं के कारण हिडिम्बा देवी मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है, जो भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
Ways to reach Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर पहुचने के मार्ग
- हवाई जहाज से : आपको सबसे पहले भुंतर एयरपोर्ट (Kullu Manali Airport) तक पहुंचना होगा, जो मनाली से 50 किलोमीटर दूर है। वहां से आपको कैब, ऑटो या बस से मनाली तक जाना होगा। मनाली में आपको माल रोड (Mall Road) पर हिडिंबा देवी मंदिर के लिए बोर्ड दिखाई देंगे। आपको वहां से 2.5 किलोमीटर दूर ढुंगरी गांव (Dhungri Village) तक जाना होगा, जहां मंदिर स्थित है।
- ट्रेन से : आपको सबसे पहले चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा, जो मनाली से 310 किलोमीटर दूर है। वहां से आपको बस, कैब या टैक्सी से मनाली तक जाना होगा। मनाली में आपको मल रोड पर हिडिंबा देवी मंदिर के लिए बोर्ड दिखाई देंगे। आपको वहां से 2.5 किलोमीटर दूर ढुंगरी गांव तक जाना होगा, जहां मंदिर स्थित है।
- सड़क मार्ग से : आपको सबसे पहले दिल्ली से मनाली तक की बस लेनी होगी, जो 550 किलोमीटर की दूरी है। बस आपको मनाली बस स्टैंड पर उतार देगी। वहां से आपको माल रोड पर हिडिंबा देवी मंदिर के लिए बोर्ड दिखाई देंगे। आपको वहां से 2.5 किलोमीटर दूर ढुंगरी गांव तक जाना होगा, जहां मंदिर स्थित है।
Places to visit near Hidimba Devi Temple | हिडिम्बा देवी मंदिर के आस पास के दर्शनीय स्थल
- वशिष्ठ कुंड | Vashisht Kund : यह एक प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है, जो वशिष्ठ ऋषि के आश्रम के पास स्थित है। इस कुंड का पानी सुल्फर युक्त है, जो त्वचा और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। यहां पर वशिष्ठ मंदिर और राम मंदिर भी देखने को मिलते हैं।
- सोलंग घाटी | Solang Valley : यह एक खूबसूरत घाटी है, जो मनाली से 13 किलोमीटर दूर है। यहां पर बर्फबारी के समय स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का आनंद लिया जा सकता है। यहां पर एक रोपवे भी है, जो घाटी के ऊपर से नजारा देखने का मौका देता है।
- मनाली वन विहार | Manali Wildlife Sanctuary : यह एक वन्यजीव अभयारण्य है, जो मनाली शहर के निकट है। यहां पर अनेक प्रकार के जानवर और पक्षी देखे जा सकते हैं, जैसे भालू, चीता, लोमड़ी, बाघ, बर्फानी तीतर, मोनाल, कबूतर आदि। यहां पर ट्रेकिंग, कैंपिंग, बर्डवॉचिंग जैसी गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है।
FAQ :-
1. हिडिम्बा देवी मंदिर का निर्माण कब और किसने किया था ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर का निर्माण 1553 में राजा बहादुर सिंह ने किया था।
2 . हिडिम्बा देवी मंदिर की विशेषता क्या है ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है, जो हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है, जो महाभारत में पांडव भीम की पत्नी थीं।
3 . हिडिम्बा देवी मंदिर का स्थान कहां है ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर मनाली शहर के पास के एक पहाड़ पर स्थित है, जिसे डूंगरी गाँव के नाम से भी जाना जाता है।
4 . हिडिम्बा देवी मंदिर में पूजा का समय क्या है ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर में पूजा का समय सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक है।
5 . हिडिम्बा देवी मंदिर के पास अन्य पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर के पास अन्य पर्यटन स्थल वशिष्ठ कुंड, सोलंग घाटी, मनाली वन विहार आदि हैं।
6 . हिडिम्बा देवी मंदिर के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है ?
- हिडिम्बा देवी मंदिर के लिए सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक है, जब यहां का मौसम सुहावना और ताजा होता है।
7 . हिडिम्बा देवी मंदिर के बारे में कोई रोचक तथ्य बताइए।
- हिडिम्बा देवी मंदिर के बारे में एक रोचक तथ्य यह है कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक शिला है, जिसे देवी का प्रतीक माना जाता है।
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