Gwalior Fort :- ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रमुख पहाड़ी किला है। माना जाता है कि यह किला कम से कम 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। यह किला अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
मुगल सम्राट बाबर ने इसे “हिंदुस्तान का मोती” कहा था। किले के भीतर कई शानदार स्मारक हैं, जिनमें महिष्मती दरबार हॉल, मान सिंह महल, तेली का मंदिर, गुजरी महल और जैन गुफाएं शामिल हैं।
कहा है ये ग्वालियर का किला
ग्वालियर का किला, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में स्थित है। यह शहर, मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है।
Gwalior Fort : केसे पहुँचने ग्वालियर के किले पर
हवाई जहाज द्वारा:
ग्वालियर का अपना हवाई अड्डा है, जिसे राजमाता विजया राजे सिंधिया हवाई अड्डा ( IATA कोड: GWL) के नाम से जाना जाता है। यह हवाई अड्डा देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से किले तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं, जो लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
ट्रेन द्वारा:
ग्वालियर जंक्शन (GWL) एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो कई शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से किले तक पहुँचने के लिए आप रिक्शे या टैक्सी ले सकते हैं, जो लगभग 6 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
सड़क मार्ग द्वारा:
ग्वालियर राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने वाहन से या राज्य द्वारा संचालित बसों द्वारा किले तक पहुँच सकते हैं। ग्वालियर बस स्टैंड से किला लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप वहां से ऑटो रिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं।
Gwalior Fort : भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर
Gwalior Fort न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति भी इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। आइए देखें कि यह किला भौगोलिक दृष्टि से किस प्रकार महत्वपूर्ण है:
- रणनीतिक ऊंचाई: ग्वालियर किला एक विशाल बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर बना है। यह ऊंचाई न केवल किले को प्राकृतिक दृढ़ता प्रदान करती है, बल्कि आसपास के मैदानी इलाकों का व्यापक दृश्य भी प्रदान करती है। इस दृश्य के कारण शत्रुओं की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाता था।
- मध्य भारत का प्रवेश द्वार: ग्वालियर किला मध्य भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। यह इसे व्यापार मार्गों और सैन्य अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है। किले पर नियंत्रण रखने वाले शासक उत्तर और दक्षिण के बीच यातायात को नियंत्रित कर सकते थे।
- नदियों के संगम स्थल के पास: ग्वालियर किला चंबल नदी के निकट स्थित है। प्राचीन काल में, नदियाँ परिवहन और सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। चंबल नदी के पास होना किले को रक्षा के लिए एक अतिरिक्त लाभ प्रदान करता था।
इन भौगोलिक विशेषताओं के कारण, ग्वालियर का किला सदियों से शासकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसने युद्धों और विजयों को देखा है, और भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Gwalior Fort किले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ग्वालियर किले का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि काफी लंबा और जटिल है
पौराणिक कथा और प्राचीन इतिहास :–
- किंवदंतियों के अनुसार, इस किले का निर्माण राजा सुहसन ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था।
- हालांकि, पुख्ता सबूत बताते हैं कि यह किला कम से कम आठवीं शताब्दी ईस्वी तक अस्तित्व में था, क्योंकि उस समय से शिलालेख और अवशेष पाए गए हैं।
शक्तिशाली राजवंशों का केंद्र :–
- सदियों से, ग्वालियर किला कई शक्तिशाली राजवंशों के अधीन रहा है, जिनमें कदंब, प्रतिहार, तोमर, गुर्जर-प्रतिहार, चंदेल और दिल्ली सल्तनत शामिल हैं।
- प्रत्येक शासक ने किले के विस्तार और मजबूती में योगदान दिया, जिससे यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मध्य भारत का प्रमुख केंद्र बन गया।
मुगल शासन और सुनहरा युग :–
- 1526 ईस्वी में, मुगल सम्राट बाबर ने ग्वालियर किले को जीत लिया।
- इसके बाद, किले का स्वर्णिम युग माना जाता है। मुगल शासकों, खासकर अकबर और जहाँगीर ने किले का जीर्णोद्धार किया और कई शानदार स्मारक बनवाए, जैसे मान सिंह महल और गुजरी महल।
- बाबर ने तो इसे “हिंदुस्तान का मोती” भी कहा था।
मराठा शासन और ब्रिटिश उपनिवेशवाद :–
- 18वीं शताब्दी में, मराठों ने ग्वालियर किले पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- 1857 के विद्रोह के दौरान, किले ने विद्रोहियों के लिए एक महत्वपूर्ण गढ़ के रूप में कार्य किया।
- बाद में अंग्रेजों ने किले को जीत लिया और इसे 1947 तक अपने अधीन रखा। स्वतंत्रता के बाद, यह भारत सरकार के अधीन हो गया।
ग्वालियर किला सदियों से विभिन्न राजवंशों के बीच संघर्ष और शक्ति-संतुलन का साक्षी रहा है। इसने युद्धों और विद्रोहों को देखा है, और विभिन्न शैलियों में निर्मित शानदार स्मारकों को अपने में समेटे हुए है। यह किला भारतीय इतिहास और स्थापत्य कला में अमूल्य है।
Gwalior Fort के अंदर घूमने के लिए मुख्य आकर्षण
Gwalior Fort के अंदर घूमने के लिए कई शानदार स्थल हैं। यहां कुछ मुख्य आकर्षणों की सूची हिंदी में दी गई है:
- मान सिंह महल: 15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर द्वारा निर्मित यह चार मंजिला महल अपनी जटिल नक्काशी, भव्य आंगनों और अलंकृत कक्षों के लिए प्रसिद्ध है।
- तेली का मंदिर: यह 11वीं शताब्दी का मंदिर हिंदू और जैन स्थापत्य शैली के एक अनूठ मिश्रण को प्रदर्शित करता है। इसके जटिल रूप से तराशे गए खंभे और छत देखने लायक हैं।
- गुजरी महल: राजा मान सिंह तोमर द्वारा उनकी गुजरी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया यह जटिल रूप से डिजाइन किया गया महल अपनी खूबसूरत जाली के काम और धनुषाकार खिड़कियों के लिए जाना जाता है।
- सास-बहू मंदिर: इस उत्तम परिसर में दो जटिल रूप से खुदे हुए जैन मंदिर शामिल हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि एक व्यापारी ने अपनी पत्नी और सास के लिए बनवाए थे।
- जयसिंह दरबार हॉल: यह विशाल हॉल मुगल काल के दौरान दरबार लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसकी भव्य छत और सजावटी मेहराब इसकी स्थापत्य वैभव का प्रदर्शन करते हैं।
- गिरद कंवल महल: यह महल अपनी जटिल नक्काशी और बालकनियों के लिए जाना जाता है।
- पाटन की बावड़ी: यह विशाल बावड़ी अपने सीढ़ीदार कुएं और जटिल वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- गुआरी गेट और हाथी गेट: ये किले के मुख्य प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना ऐतिहासिक महत्व है।
इसके अलावा, ग्वालियर किले में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है जो विभिन्न युगों की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। किले की प्राचीर ग्वालियर शहर के नीचे के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है।
Gwalior Fort के आस-पास घूमने के लिए शानदार स्थल
Gwalior Fort अपने आप में अपनी दीवारों के भीतर स्मारकों का खजाना समेटे हुए है, लेकिन आसपास का क्षेत्र भी कुछ रोचक स्थल प्रस्तुत करता है। ग्वालियर किले के आसपास घूमने के लिए यहां कुछ स्थानों की सिफारिशें हैं:Gwalior Fortग्वालियर किला अपने आप में अपनी दीवारों के भीतर स्मारकों का खजाना समेटे हुए है, लेकिन आसपास का क्षेत्र भी कुछ रोचक स्थल प्रस्तुत करता है। ग्वालियर किले के आसपास घूमने के लिए यहां कुछ स्थानों की सिफारिशें हैं:
- जय विलास महल: 19वीं शताब्दी में सिंधिया राजवंश द्वारा निर्मित यह opulent महल को अक्सर “झांसी की रानी महल” के रूप में जाना जाता है, इसका संबंध झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से है। यह महल यूरोपीय और भारतीय स्थापत्य शैली का एक आकर्षक मिश्रण है, और इसके आलीशान आंतरिक भाग उत्तम चित्रों, झाड़ों और यूरोपीय फर्नीचर से सुशोभित हैं। महल के आसपास फैले विशाल बगीचों को देखना न भूलें।
- गोपाचल पर्वत: ग्वालियर किले के पास स्थित यह एकाश्म खंड पर्वत, एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। यहाँ 700 से अधिक जैन गुफाएं हैं, जो जटिल मूर्तियों और मूर्तियों से सुशोभित हैं। पहाड़ी पर चढ़ने से आसपास के क्षेत्र के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।
- सूर्य मंदिर: सूर्य देव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर माना जाता है कि 5वीं-6ठी शताब्दी ईस्वी का है। मंदिर की वास्तुकला काफी अनूठी है, जिसमें एक सीढ़ीनुमा पिरामिडनुमा शिखर और जटिल नक्काशी है।
- तानसेन की कब्र: संगीत प्रेमियों को महान संगीतकार तानसेन की कब्र को नहीं छोड़ना चाहिए, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर और रामा के दरबारों में सेवा की थी। यह मकबरा एक साधारण संरचना है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व है।
- गुजरी महल पुरातात्विक संग्रहालय: गुजरी महल परिसर में स्थित, यह संग्रहालय ग्वालियर किले और आसपास के क्षेत्र से कलाकृतियों का संग्रह प्रदर्शित करता है। विभिन्न राजवंशों की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन और कांस्य यहां मिलने वाली कुछ प्रदर्शनी हैं।
Gwalior Fort के पास होटल :–
- द रेडिसन ग्वालियर (5- स्टार): यह होटल किले से थोड़ी ही दूर स्थित है और शहर के मनोरम दृश्य प्रदान करता है। इसमें विभिन्न रेस्तरां, एक स्पा और एक स्विमिंग पूल है।
- नीमराना’स देव बाग (4.5- स्टार): यह हेरिटेज होटल 17वीं शताब्दी के महल परिसर में स्थित है और एक अनूठा और शानदार अनुभव प्रदान करता है। इसमें विभिन्न रेस्तरां, एक स्पा और एक आउटडोर पूल है।
- पार्क इन बाई रेडिसन ग्वालियर (4- स्टार): यह आधुनिक होटल किले के नजदीक स्थित है और इसमें रेस्टोरेंट, बार और फिटनेस सेंटर सहित विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- होटल सूर्य (3.5- स्टार): यह मध्य-श्रेणी का होटल एक केंद्रीय स्थान पर स्थित है और आरामदेह आवास और रेस्टोरेंट और बार सहित विभिन्न सुविधाएं प्रदान करता है।
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Gwalior Fort के पास रेस्टोरेंट :–
- मॉर्फो : द बटरफ्लाय रेस्टोरेंट: यह फाइन-डाइनिंग रेस्टोरेंट भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजन परोसता है। यह रैडिसन ग्वालियर होटल में स्थित है और किले के अद्भुत दृश्य प्रदान करता है।
- tandoor महल: यह रेस्टोरेंट एक आरामदायक वातावरण में पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजन परोसता है। यह शहर के केंद्र में स्थित है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है।
- दासpalla – द ग्रीन होटल ग्वालियर: यह रेस्टोरेंट बुफे सेटिंग में विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजन परोसता है। यह दासpalla – द ग्रीन होटल ग्वालियर में स्थित है और यह एक त्वरित और किफायती भोजन के लिए एक अच्छा विकल्प है।
- अपना पंजाब: यह रेस्टोरेंट एक आरामदायक वातावरण में पंजाबी व्यंजन परोसता है। यह शहर के केंद्र में स्थित है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है।
यह ग्वालियर किले के पास स्थित कई होटलों और रेस्टोरेंटों में से कुछ ही हैं। चुनने के लिए विभिन्न विकल्पों के साथ, आप निश्चित रूप से ग्वालियर की अपनी यात्रा के दौरान रहने और खाने के लिए सही जगह पा सकते हैं।
FAQs
1. Gwalior Fort किस लिए प्रसिद्ध है?
Ans: ग्वालियर किला अपने शानदार वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और पुराने स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है।
2. ग्वालियर किला कहाँ स्थित है?
Ans: ग्वालियर किला, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर शहर में स्थित है।
3. ग्वालियर किले में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?
Ans: मान सिंह महल, तेली का मंदिर, गुजरी महल, सास-बहू मंदिर और जयसिंह दरबार हॉल ग्वालियर किले के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
4. ग्वालियर किले के आसपास घूमने के लिए कौन सी जगहें अच्छी हैं?
Ans: जय विलास महल, गोपाचल पर्वत, सूर्य मंदिर, तानसेन की कब्र और गुजरी महल पुरातात्विक संग्रहालय ग्वालियर किले के आसपास घूमने के लिए कुछ दिलचस्प स्थान हैं।
5. ग्वालियर किला किस शताब्दी में बनाया गया था?
Ans: ग्वालियर किले का अस्तित्व कम से कम 10वीं शताब्दी का है, हालांकि माना जाता है कि इसकी शुरुआत 6ठी शताब्दी में भी हो सकती है।
6. ग्वालियर किले का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
Ans: सदियों से, ग्वालियर किला विभिन्न राजवंशों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसने युद्धों और विजयों को देखा है, और भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
7. ग्वालियर किले तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
Ans: ग्वालियर तक हवाई जहाज, ट्रेन या सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। ग्वालियर का अपना हवाई अड्डा है, और शहर प्रमुख रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
8. क्या ग्वालियर किले में कोई भूमिगत जेल है?
Ans: मुगल शासन के दौरान राजा मान सिंह महल के नीचे के कक्षों को जेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
9. ग्वालियर किले में कौन से शासक रहते थे?
Ans: सदियों से, ग्वालियर किले पर विभिन्न राजवंशों का शासन रहा है, जिनमें शामिल हैं – तोमर वंश, कछवाहा वंश, सूरी वंश, मुगल वंश, सिंधिया वंश