Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजराजेश्वर मंदिर या पेरुवुदैयार कोविल के नाम से भी जाना जाता है, तंजावुर में स्थित एक भव्य हिंदू मंदिर है। यह 11वीं शताब्दी की शुरुआत में चोल सम्राट राजाराजा चोल प्रथम द्वारा बनवाया गया था।
बृहदेश्वर मंदिर कहा है ? | where is Brihadeeswara Temple ?
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर की भौगोलिक स्थिति इसे और भी विशिष्ट बनाती है। यह मंदिर दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित है, जो प्राचीन द्रविड़ संस्कृति का केंद्र रहा है। विशेष रूप से, मंदिर तंजावुर शहर में स्थित है, जो कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर बसा हुआ है। यह नदी दक्षिण भारत की जीवन रेखा मानी जाती है और सदियों से कृषि और संस्कृति का आधार रही है। कावेरी नदी के तट पर स्थित होने के कारण, बृहदेश्वर मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता के संगम का एक आदर्श उदाहरण बन जाता है।
बृहदेश्वर मंदिर : राजा का सपना, वास्तुशिल्प का चमत्कार | Brihadeeswarar Temple : A King’s Dream, An Architectural Marvel
एक सम्राट की दृष्टि, एक भव्य मंदिर की उत्पत्ति | A King’s Vision, A Grand Temple’s Birth
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर, जिसे मूल रूप से राजराजेश्वर के नाम से जाना जाता था, चोल सम्राट राजाराजा चोल प्रथम (985-1014 ईस्वी) की एक अविस्मरणीय कृति है। कांचीपुरम के पल्लव राजवंश के राजसिंह मंदिरों की भव्यता से प्रेरित होकर, राजाराजा चोल प्रथम ने 1003 ईस्वी में इस भव्य मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। मात्र पांच वर्षों (1010 ईस्वी) में यह मंदिर बनकर तैयार हो गया, जो उस समय की असाधारण इंजीनियरिंग और संगठनात्मक क्षमता का प्रमाण है।
बृहदेश्वर मंदिर की समय के साथ यात्रा | A Journey Through Time
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर 16वीं शताब्दी के बाद, तंजावुर पर नायकों और मराठों सहित विभिन्न राजवंशों का शासन रहा। इन शासकों ने भी मंदिर परिसर में अपना योगदान दिया। उन्होंने मंदिर के चारों ओर मजबूत दीवारें बनवाईं और परिसर के भीतर कुछ अतिरिक्त संरचनाओं का निर्माण करवाया। मराठा शासनकाल के दौरान ही मंदिर का नाम बदलकर ब्रहदीश्वर कर दिया गया।
आज भी, बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल और हिंदू धार्मिक स्थल बना हुआ है। 1987 में, इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह मंदिर दक्षिण भारतीय कला और स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो चोल साम्राज्य के वैभवशाली इतिहास को जीवंत करता है।
बृहदेश्वर मंदिर चोल साम्राज्य की विरासत का प्रतीक | Brihadeeswara Temple symbolizes the heritage of the Chola Empire
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह चोल साम्राज्य की कला, स्थापत्य और इंजीनियरिंग कौशल का एक जीवंत प्रमाण है। यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता रहेगा।
बृहदेश्वर मंदिर की वास्तु शैली : स्थापत्य कला का वैभव | Architectural style of Brihadeeswara Temple
चोल साम्राज्य का प्रतीक, बृहदेश्वर मंदिर, जिसे बिग मंदिर (பெரிய கோயில்) के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत में चोल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। 11वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और तंजावुर, तमिलनाडु में स्थित है।
मंदिर की स्थापत्य शैली निम्नलिखित विशेषताओं द्वारा दर्शायी जाती है:
- विमान: मंदिर का विमान, जो गर्भगृह (गर्भगृह) के ऊपर उठता है, 13 मंजिलों (लगभग 60 मीटर ऊंचा) वाला विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) है। यह द्रविड़ वास्तुकला का एक विशिष्ट लक्षण है और शिव के कैलाश पर्वत पर निवास का प्रतीक है।
- गर्भगृह: गर्भगृह मंदिर का केंद्रीय कक्ष है जहाँ मूर्ति स्थापित है। यह ग्रेनाइट के विशाल खंडों से बना है और अष्टदिशापालों (आठ दिशाओं के संरक्षक) की मूर्तियों से सुसज्जित है।
- वर्गाकार आधार: मंदिर का आधार वर्गाकार है, जो चारों ओर सममितीय है। यह चारों दिशाओं में ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है।
- मंडप: मंदिर में कई मंडप (हॉल) हैं, जिनमें नृत्य मंडप, हजारों खंभों वाला मंडप और हॉल ऑफ थॉसैंड लाइट्स शामिल हैं। ये मंडप धार्मिक अनुष्ठानों और सभाओं के लिए उपयोग किए जाते थे।
- मूर्तियां: मंदिर मूर्तियों और नक्काशीदार आकृतियों से भरा हुआ है जो हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास को दर्शाती हैं।
- ग्रेनाइट: मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट के विशाल खंडों से किया गया है, जो इसकी मजबूती और स्थायित्व का प्रमाण है।
बृहदेश्वर मंदिर न केवल अपनी भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इंजीनियरिंग और शिल्प कौशल का भी एक अद्भुत उदाहरण है। यह चोल साम्राज्य की समृद्धि और सांस्कृतिक उपलब्धियों का प्रतीक है। 1987 में, यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
यहां कुछ अतिरिक्त तथ्य दिए गए हैं जो बृहदेश्वर मंदिर की वास्तुकला को दर्शाते हैं:
- मंदिर का निर्माण राजा राजा चोल प्रथम (985-1014 ईस्वी) ने करवाया था।
- मंदिर के निर्माण में 130,000 टन से अधिक ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था।
- मंदिर का विमान दक्षिण भारत में सबसे ऊँचा है।
- मंदिर में 1000 से अधिक मूर्तियाँ हैं।
- मंदिर सूर्य की किरणों के साथ संरेखित है, जो विषुवत के दौरान गर्भगृह में प्रवेश करती हैं।
बृहदेश्वर मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दक्षिण भारत की भव्यता और चोल साम्राज्य की कलात्मक प्रतिभा का प्रतीक है।
बृहदेश्वर मंदिर के आसपास घूमने की जगहें : इतिहास और कला का भ्रमण | Places to visit around Brihadeshwar Temple : History and Art Tour
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर की भव्यता की सराहना करने के बाद, आप आसपास के क्षेत्रों में घूमकर तंजावुर की समृद्ध संस्कृति और इतिहास में और अधिक गहराई से उतर सकते हैं। ये स्थान आपको कला, वास्तुकला और प्राचीन परंपराओं की एक झलक प्रदान करेंगे।
विद्वानों का स्वर्ग : सरस्वती महल पुस्तकालय
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर, लगभग 1 किलोमीटर की सीमा के भीतर, सरस्वती महल पुस्तकालय स्थित है। यह दक्षिण भारत के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक है, जो ज्ञान का एक अमूल्य भंडार है। यहां आप ताड़पत्रों पर लिखे प्राचीन ग्रंथों, हस्तलिखित पांडुलिपियों और ऐतिहासिक शिलालेखों के संग्रह को देख सकते हैं। पुस्तकालय की दीवारें भी कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जहां आप भित्ति चित्रों की प्रशंसा कर सकते हैं।
शक्ति का दरबार : राजाधिराज सभा
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर परिसर के भीतर स्थित राजाधिराज सभा, भव्यता का एक पर्याय है। यह विशाल हॉल कभी चोल राजाओं का दरबार हुआ करता था, जहां महत्वपूर्ण बैठकें और समारोह आयोजित किए जाते थे। ऊंचे छतों, जटिल नक्काशी वाले खंभों और शाही वास्तुकला की शैली आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
कला का संग्रहालय : बिजयनगर आर्ट गैलरी
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर के निकट ही स्थित बिजयनगर आर्ट गैलरी, कला प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहां आप दक्षिण भारतीय कला का उत्कृष्ट संग्रह देख सकते हैं, जिसमें कांस्य मूर्तियों, सुंदर चित्रों और विभिन्न प्रकार की शिल्पकला शामिल है। यह गैलरी आपको सदियों पुरानी कलात्मक परंपराओं की यात्रा पर ले जायेगी।
देवी का वास : स्वर्ण मंदिर
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर के ठीक पीछे स्थित एक छोटा लेकिन सुंदर मंदिर, स्वर्ण मंदिर है। यह मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है। मंदिर की शांत वातावरण और दीवारों पर बने सुंदर भित्ति चित्र आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे।
प्रकृति की शरण : शिवगंगा गार्डन
यदि आप शहर के कोलाहल से कुछ समय निकालना चाहते हैं, तो शिवगंगा गार्डन आपके लिए एक आदर्श स्थान है। यह शांत उद्यान बृहदेश्वर मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आप हरे भरे परिवेश का आनंद ले सकते हैं, नाव की सवारी कर सकते हैं और प्रकृति की सुंदरता में खो सकते हैं।
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बृहदेश्वर मंदिर तक पहुँचने के लिए रोमांचक यात्रा
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर की भव्यता को निहारने के लिए आप हवाई, रेल या सड़क मार्ग से तंजावुर पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग:
तंजावुर में ही कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (TRZ) है, जो लगभग 78 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या प्रीपेड कैब लेकर सीधे तंजावुर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग:
तंजावुर एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देश के विभिन्न शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप अपनी सुविधा के अनुसार ट्रेन का चुनाव कर सकते हैं। स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ऑटो रिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं।
सड़क मार्ग:
तंजावुर राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप राज्य परिवहन बसों, निजी बसों या अपनी कार से तंजावुर पहुंच सकते हैं। बस स्टैंड या किसी अन्य निर्धारित स्थान से मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
यात्रा का सुझाव:
तंजावुर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है। मंदिर दर्शन के साथ-साथ आप यहां के अन्य दर्शनीय स्थलों को भी देखने का कार्यक्रम बना सकते हैं।
Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर खुलने का समय सुबह साढ़े चार बजे से रात आठ बजे तक है। दर्शन के लिए समय (Darshan samay – suitable time) सुबह का समय माना जाता है, जब वातावरण शांत और दर्शन करने में आनंद आता है।
बृहदेश्वर मंदिर के पास बेहतरीन और किफायती होटल:
होटल ज्ञानम: यह साफ और सुथरा होटल मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यह बहुत ही उचित दाम पर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता है।
मरुधमलाई अरुणा गेस्ट हाउस: यह मंदिर के पास स्थित एक और किफायती विकल्प है। यह साफ और सौहार्दपूर्ण वातावरण में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता है।
होटल कॉफी पैलेस: यह शाकाहारी रेस्टोरेंट स्थानीय लोगों का पसंदीदा है, जो विभिन्न प्रकार के दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसता है। वे अपनी फ़िल्टर कॉफी के लिए भी जाने जाते हैं।
श्री बाला जी रेस्टोरेंट: यह एक कैजुअल रेस्टोरेंट है जो दक्षिण भारतीय शाकाहारी भोजन परोसता है। वे अपने स्वादिष्ट डोसा और इडली के लिए जाने जाते हैं।
बृहदेश्वर मंदिर (Thanjavur) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- Brihadeeswara Temple | बृहदेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: तंजावुर, तमिलनाडु, भारत।
- बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया?
उत्तर: चोल सम्राट राजाराजा चोल प्रथम (1003-1010 ईस्वी)।
- बृहदेश्वर मंदिर किस लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर: यह द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जिसमें पूरा मंदिर ग्रेनाइट से बना है और 216 फीट ऊँचा विशाल विमान (शिखर) है।
- क्या बृहदेश्वर मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है?
उत्तर: हाँ, इसे “ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स” समूह के भाग के रूप में 1987 में घोषित किया गया था।
- बृहदेश्वर मंदिर तक कैसे पहुँचें?
उत्तर: हवाई जहाज (तिरुचिरापल्ली हवाई अड्डा), रेल या सड़क मार्ग से तंजावुर पहुंचा जा सकता है। वहाँ से ऑटो रिक्शा या टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।